Shalom masih yeshu men aap saboh ki salmati ho
To agar aap yasarim el hindi urdu Hebrew bible channel par pehli bar bête or baap ke kalam ke wasile jode hain to masih yeshua men hum apka welcome karte hain
To aaj ka jo visha hai wuh hai
2 aayat jo ek hi vihse par raushni dalti hain
Pehle hum un ayat ko pade ge phir unmen difrence ko samjhe ge
मरकुस 16
; 17विश्वास करनेवालों में ये चिह्न होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, नई नई भाषा बोलेंगे, 18साँपों को उठा लेंगे, और यदि वे प्राणनाशक वस्तु भी पी जाएँ तौभी उनकी कुछ हानि न होगी; वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएँगे।”
1 कुरिन्थियों 14
; 22इसलिये अन्य भाषाएँ विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिह्न हैं; और भविष्यद्वाणी अविश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु विश्वासियों के लिये चिह्न हैं। 23अत: यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य भाषाएँ बोलें, और बाहरवाले या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएँ तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे? 24परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या बाहरवाला मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परख लेंगे; 25और उसके मन के भेद प्रगट हो जाएँगे, और तब वह मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् करेगा, और मान लेगा कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।
Shuru karne se pehle inke piche dono ke piche ka thought procces kya hdono hawale ke pcihe
Jo pehla hai wuh marqus 16 ; 17 baap hai
Pura naam hai yuhana marqus
प्रेरितों 12
; 12यह जानकर वह उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है।
20हेरोदेस सूर और सैदा के लोगों से बहुत अप्रसन्न था। इसलिये वे एक चित्त होकर उसके पास आए, और बलास्तुस को जो राजा का एक कर्मचारी था, मनाकर मेल करना चाहा; क्योंकि राजा के देश से उनके देश का पालन–पोषण होता था। 21ठहराए हुए दिन हेरोदेस राजवस्त्र पहिनकर सिंहासन पर बैठा, और उनको व्याख्यान देने लगा। 22तब लोग पुकार उठे, “यह तो मनुष्य का नहीं ईश्वर का शब्द है।” 23उसी क्षण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने तुरन्त उसे मारा, क्योंकि उसने परमेश्वर को महिमा न दी; और वह कीड़े पड़के मर गया।
24परन्तु परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।
25जब बरनबास और शाऊल अपनी सेवा पूरी कर चुके तो यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेकर यरूशलेम से लौटे।
मार्क का सुसमाचार ग्रीक में, गैर-यहूदी के लिए, लिखा गया Hai
1 कुरिन्थियों 14
1 कुरिन्थियों भूमिका
भूमिका
पौलुस ने कुरिन्थुस नगर में कलीसिया की स्थापना की थी। उसमें मसीही जीवन और विश्वास सम्बन्धी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुईं। उन समस्याओं के समाधान के लिए कुरिन्थियों के नाम पौलुस प्रेरित की पहली पत्री लिखी गई थी। उस समय कुरिन्थुस यूनान का एक अन्तर्राष्ट्रीय नगर था। जो रोमी साम्राज्य के अखाया प्रान्त की राजधानी था। वह अपनी व्यापार सम्पन्नता, वैभवशाली संस्कृति और विविध धर्मों के लिये प्रसिद्ध था। पर वह अपनी व्यापक अनैतिकता के लिये बदनाम था।
1 कुरिन्थियों 1
1पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित होने के लिये बुलाया गया और भाई सोस्थिनेस की ओर से, 2परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है, अर्थात् उनके नाम जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए, और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं; और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करते हैं।
3हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
रोमियों 11
; 13मैं तुम अन्यजातियों से यह बातें कहता हूँ। जब कि मैं अन्यजातियों के लिये प्रेरित हूँ, तो मैं अपनी सेवा की बड़ाई करता हूँ,
मरकुस 16
; 17विश्वास करनेवालों में ये चिह्न होंगे
1 कुरिन्थियों 14
; 22इसलिये अन्य भाषाएँ विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिह्न हैं;
Ab tarah ke log hain
Ek jo masih yeshua ke naam par nam late hain
To unmen vishwash se kaam hute hain
Jo kam hunge wuh vishwash men hunge
Lekin jinke liye hunge ki wuh bhi un kaam ko dekh kar vishwash le aye
Yani audience dekhne wale
Wuh jo vishwash nhi laye
Yani yahudi jo nishan talab karte hain
Unke liye chin hai
Magar kam vishwashi ki zindghi men huta
Or zahir un par kiya jata hai jo vishwash nhi late
Jaise ke yahudi
1 कुरिन्थियों 14
; 22इसलिये अन्य भाषाएँ विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिह्न हैं;
'यहूदी तो चिह्न चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं, '
1 कुरिन्थियों 1:22
मत्ती 23
शास्त्रियों और फरीसियों से सावधान
(मरकुस 12:38,39; लूका 11:43,46; 20:45,46)
1तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा, 2“शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं; 3इसलिये वे तुमसे जो कुछ कहें वह करना और मानना, परन्तु उनके से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। 4वे एक ऐसे भारी बोझ को जिसको उठाना कठिन है, बाँधकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु स्वयं उसे अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते। 5वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं
प्रेरितों 2
पवित्र आत्मा का उतरना
1जब पिन्तेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। 2एकाएक आकाश से बड़ी आँधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज गया। 3और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं। 4वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।
5आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे। 6जब यह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं। 7वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे, “देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं?
“जबूलून और नप्ताली के देश, झील के मार्ग से यरदन के पार, अन्यजातियों का गलील –
उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया।
यूहन्ना 2
; 11यीशु ने गलील के काना में अपना यह पहला चिह्न दिखाकर अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया |
Yeshua masiha ne kaam to iman wale men kiye gairqumon men kiye
Anajatiyyaon men kiye magar zahir kinko dikhane ke liye kinko samjhane ke liye
Wuh kinko dikha or suna or samjha rahen hain
Yahudion ko jo iman nahi late
मरकुस 16
; 17विश्वास करनेवालों में ये चिह्न होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, नई नई भाषा बोलेंगे,
7वे सब चकित और अचम्भित होकर कहने लगे, “देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं?
Bolne wale to galili hi hain jo aniyjatyon men se vishwash laye masih yeshua ke naam par bête ke naam par
Lekin dekhne or sunne wale kaun hain yahudi hain
Jo vishwash nhi laye
1 कुरिन्थियों 14
; 22इसलिये अन्य भाषाएँ विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिह्न हैं;
5आकाश के नीचे की हर एक जाति में से भक्त यहूदी यरूशलेम में रह रहे थे। 6जब यह शब्द हुआ तो भीड़ लग गई और लोग घबरा गए, क्योंकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही भाषा में बोल रहे हैं।
प्रेरितों 2
; 8तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म–भूमि की भाषा सुनता है? 9हम जो पारथी और मेदी और एलामी और मेसोपोटामिया और यहूदिया और कप्पदूकिया और पुन्तुस और आसिया, 10और फ्रूगिया और पंफूलिया और मिस्र और लीबिया देश जो कुरेने के आस पास है, इन सब देशों के रहनेवाले और रोमी प्रवासी, 11अर्थात् यहूदी और यहूदी मत धारण करनेवाले, क्रेती और अरबी भी हैं, परन्तु अपनी–अपनी भाषा में उनसे परमेश्वर के बड़े–बड़े कामों की चर्चा सुनते हैं।” 12और वे सब चकित हुए और घबराकर एक दूसरे से कहने लगे, “यह क्या हो रहा है?”
देखो, ये जो बोल रहे हैं क्या सब गलीली नहीं?
8तो फिर क्यों हम में से हर एक अपनी अपनी जन्म–भूमि की भाषा सुनता है?
प्रेरितों 2
; 14तब पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊँचे शब्द से कहने लगा, “हे यहूदियो और हे यरूशलेम के सब रहनेवालो, यह जान लो, और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। 15जैसा तुम समझ रहे हो, ये लोग नशे में नहीं हैं, क्योंकि अभी तो पहर ही दिन चढ़ा है। 16परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई थी :
17‘परमेश्वर कहता है, कि अन्त के दिनों में
ऐसा होगा कि
मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उँडेलूँगा,
और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ
भविष्यद्वाणी करेंगी,
और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे,
और तुम्हारे पुरनिए स्वप्न देखेंगे।
18वरन् मैं अपने दासों और अपनी दासियों
पर भी
उन दिनों में अपने आत्मा में से उँडेलूँगा,
और वे भविष्यद्वाणी करेंगे।
1 कुरिन्थियों 14
; और भविष्यद्वाणी अविश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु विश्वासियों के लिये चिह्न हैं। 23अत: यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य भाषाएँ बोलें, और बाहरवाले या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएँ तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे? 24परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या बाहरवाला मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परख लेंगे; 25और उसके मन के भेद प्रगट हो जाएँगे, और तब वह मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् करेगा, और मान लेगा कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।
यूहन्ना 7
1इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा; क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिये वह यहूदिया में फिरना न चाहता था। 2यहूदियों का झोपड़ियों का पर्व निकट था। 3इसलिये उसके भाइयों ने उससे कहा, “यहाँ से यहूदिया को जा, कि जो काम तू करता है उन्हें तेरे चेले वहाँ भी देखें। 4क्योंकि ऐसा कोई न होगा जो प्रसिद्ध होना चाहे, और छिपकर काम करे। यदि तू यह काम करता है, तो अपने आप को जगत पर प्रगट कर।” 5क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे।
14जब पर्व के आधे दिन बीत गए; तो यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा। 15तब यहूदियों ने चकित होकर कहा, “इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई?” 16यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरा उपदेश मेरा नहीं, परन्तु मेरे भेजनेवाले का है। 17यदि कोई उसकी इच्छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपदेश के विषय में जान जाएगा कि यह परमेश्वर की ओर से है या मैं अपनी ओर से कहता हूँ। 18जो अपनी ओर से कुछ कहता है, वह अपनी ही बड़ाई चाहता है; परन्तु जो अपने भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है, और उसमें अधर्म नहीं। 19क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी? तौभी तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता
यूहन्ना 7
37पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। 38जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।” 39उसने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था।
40तब भीड़ में से किसी किसी ने ये बातें सुन कर कहा, “सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है।” 41दूसरों ने कहा, “यह मसीह है।” परन्तु कुछ ने कहा, “क्यों? क्या मसीह गलील से आएगा? 42क्या पवित्रशास्त्र में यह नहीं आया कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गाँव से आएगा, जहाँ दाऊद रहता था?” 43अत: उसके कारण लोगों में फूट पड़ी। 44उनमें से कुछ उसे पकड़ना चाहते थे, परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला।
प्रेरितों 4
; ; 45तब सिपाही प्रधान याजकों और फरीसियों के पास लौट आए; उन्होंने उनसे कहा, “तुम उसे क्यों नहीं लाए?” 46सिपाहियों ने उत्तर दिया, “किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं।” 47फरीसियों ने उनको उत्तर दिया, “क्या तुम भी भरमाए गए हो? 48क्या सरदारों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है? 49परन्तु ये लोग जो व्यवस्था नहीं जानते, शापित हैं।” 50नीकुदेमुस ने, जो पहले उसके पास आया था और उनमें से एक था, उनसे कहा, 51“क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को, जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है, दोषी ठहराती है?” 52उन्होंने उसे उत्तर दिया, “क्या तू भी गलील का है? ढूँढ़ और देख कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।”
5दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उनके सरदार और पुरनिये और शास्त्री 6और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। 7वे उन्हें बीच में खड़ा करके पूछने लगे कि तुम ने यह काम किस सामर्थ्य से और किस नाम से किया है। 8तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उनसे कहा, 9“हे लोगों के सरदारो और पुरनियो, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछताछ की जाती है, कि वह कैसे अच्छा हुआ। 10तो तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। 11यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 12किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें।”
13जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का साहस देखा, और यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो आश्चर्य किया; फिर उनको पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। 14उस मनुष्य को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़े देखकर, वे विरोध में कुछ न कह सके। 15परन्तु उन्हें सभा के बाहर जाने की आज्ञा देकर, वे आपस में विचार करने लगे, 16“हम इन मनुष्यों के साथ क्या करें? क्योंकि यरूशलेम के सब रहनेवालों पर प्रगट है, कि इनके द्वारा एक प्रसिद्ध चिह्न दिखाया गया है; और हम उसका इन्कार नहीं कर सकते। 17परन्तु इसलिये कि यह बात लोगों में और अधिक फैल न जाए, हम उन्हें धमकाएँ, कि वे इस नाम से फिर किसी मनुष्य से बातें न करें।” 18तब उन्हें बुलाया और चेतावनी देखकर यह कहा, “यीशु के नाम से कुछ भी न बोलना और न सिखाना।” 19परन्तु पतरस और यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो; क्या यह परमेश्वर के निकट भला है कि हम परमेश्वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानें। 20क्योंकि यह तो हम से हो नहीं सकता कि जो हम ने देखा और सुना है, वह न कहें।” 21तब उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया,
यूहन्ना 10
; 22यरूशलेम में स्थापन पर्व मनाया जा रहा था; और जाड़े की ऋतु थी। 23यीशु मन्दिर में सुलैमान के ओसारे में टहल रहा था। 24तब यहूदियों ने उसे आ घेरा और पूछा, “तू हमारे मन को कब तक दुविधा में रखेगा? यदि तू मसीह है तो हम से साफ साफ कह दे।” 25यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं ने तुम से कह दिया पर तुम विश्वास करते ही नहीं। जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूँ वे ही मेरे गवाह हैं, 26परन्तु तुम इसलिये विश्वास नहीं करते क्योंकि मेरी भेड़ों में से नहीं हो। 27मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं; 28और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ। वे कभी नष्ट न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। 29मेरा पिता, जिसने उन्हें मुझ को दिया है, सबसे बड़ा है और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। 30मैं और पिता एक हैं।”
31यहूदियों ने उस पर पथराव करने को फिर पत्थर उठाए। 32इस पर यीशु ने उनसे कहा, “मैं ने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं; उन में से किस काम के लिये तुम मुझ पर पथराव करते हो?” 33यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “भले काम के लिये हम तुझ पर पथराव नहीं करते परन्तु परमेश्वर की निन्दा करने के कारण; और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है।” 34यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है, ‘मैं ने कहा, तुम ईश्वर हो’? 35यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुँचा (और पवित्रशास्त्र की बात असत्य नहीं हो सकती), 36तो जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, तुम उससे कहते हो, ‘तू निन्दा करता है,’ इसलिये कि मैं ने कहा, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’? 37यदि मैं अपने पिता के काम नहीं करता, तो मेरा विश्वास न करो। 38परन्तु यदि मैं करता हूँ, तो चाहे मेरा विश्वास न भी करो, परन्तु उन कामों का तो विश्वास करो, ताकि तुम जानो और समझो कि पिता मुझ में है और मैं पिता में हूँ।” 39तब उन्होंने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया परन्तु वह उन के हाथ से निकल गया।
रोमियों 10
परन्तु जो धार्मिकता विश्वास से है, वह यों कहती है, “तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा?” (अर्थात् मसीह को उतार लाने के लिये!) 7या “अधोलोक में कौन उतरेगा?” (अर्थात् मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!) 8परन्तु वह क्या कहती है? यह कि “वचन तेरे निकट है, तेरे मुँह में और तेरे मन में है,” यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं, 9कि यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। 10क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है। 11क्योंकि पवित्रशास्त्र यह कहता है, “जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह लज्जित न होगा।” 12यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उदार है। 13क्योंकि, “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।”
14फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? और प्रचारक बिना कैसे सुनें? 15और यदि भेजे न जाएँ, तो कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पाँव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” 16परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया : यशायाह कहता है, “हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” 17अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है।
18परन्तु मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? सुना तो अवश्य है; क्योंकि लिखा है,
“उनके स्वर सारी पृथ्वी पर,
और उनके वचन जगत की छोर तक
पहुँच गए हैं।”
19मैं फिर कहता हूँ, क्या इस्राएली नहीं जानते थे? पहले तो मूसा कहता है,
“मैं उनके द्वारा जो जाति नहीं, तुम्हारे
मन में जलन उपजाऊँगा;
मैं एक मूढ़ जाति के द्वारा तुम्हें रिस
दिलाऊँगा।”
20फिर यशायाह बड़े हियाव के साथ कहता है,
“जो मुझे नहीं ढूँढ़ते थे, उन्होंने मुझे पा
लिया;
और जो मुझे पूछते भी न थे, उन पर मैं
प्रगट हो गया।”
21परन्तु इस्राएल के विषय में वह यह कहता है,
“मैं सारा दिन अपने हाथ एक आज्ञा न
माननेवाली और विवाद करनेवाली
प्रजा की ओर पसारे रहा।”
यीशु के जन्म की घोषणा
लूका 1
; 26छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत, गलील के नासरत नगर में, 27एक कुँवारी के पास भेजा गया जिसकी मंगनी यूसुफ नामक दाऊद के घराने के एक पुरुष से हुई थी : उस कुँवारी का नाम मरियम था।
उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया।
दूसरों ने कहा, “यह मसीह है।” परन्तु कुछ ने कहा, “क्यों? क्या मसीह गलील से आएगा?
अत: वह सारे गलील में उनके आराधनालयों में जा जाकर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा।
यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया,
जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा, “मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा;
राजकर्मचारी के पुत्र को चंगा करना
यूहन्ना 4
; 46तब वह फिर गलील के काना में आया, जहाँ उसने पानी को दाखरस बनाया था। वहाँ राजा का एक कर्मचारी था जिसका पुत्र कफरनहूम में बीमार था। 47वह यह सुनकर कि यीशु यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उससे विनती करने लगा कि चलकर मेरे पुत्र को चंगा कर दे : क्योंकि वह मरने पर था। 48यीशु ने उससे कहा, “जब तक तुम चिह्न और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे।” 49राजा के कर्मचारी ने उससे कहा, “हे प्रभु, मेरे बालक की मृत्यु होने से पहले चल।” 50यीशु ने उससे कहा, “जा, तेरा पुत्र जीवित है।” उस मनुष्य ने यीशु की कही हुई बात की प्रतीति की और चला गया। 51वह मार्ग में ही था कि उसके दास उससे आ मिले और कहने लगे, “तेरा लड़का जीवित है।” 52उसने उनसे पूछा, “किस घड़ी वह अच्छा होने लगा?” उन्होंने उससे कहा, “कल सातवें घण्टे में उसका ज्वर उतर गया।” 53तब पिता जान गया कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उससे कहा, “तेरा पुत्र जीवित है,” और उसने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया। 54यह दूसरा आश्चर्यकर्म था जो यीशु ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया।
मरकुस 14
; 28परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।
परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
प्रेरितों 1
; 10उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए, 11और उनसे कहा, “हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।”
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